बौद्ध धर्म
छठी शताब्दी ईसा पूर्व एक ऐसे धर्म का उदय हुआ जिसने बहुत जल्दी ही सारी दुनिया में अपने आप को परिचित कर दिया। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि महान सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया और उसके प्रचार प्रसार के लिए अपनी पुत्री को विदेशों में भेजा। इतिहास के केई और महान शासकों ने भी बौद्ध धर्म को अपनाया और उसका प्रचार प्रसार किया। जिनमे सम्राट अशोक, बिम्बिसार, अजात शत्रु, जीवक, अनाथपिंडक, आम्रपाली जैसे महान शासक बौद्ध धर्म के अनुयाई थे। और आज भी भारत जैसे बड़े देश और विदेशों में बिद्ध धर्म को मानने वाले लाखों करोड़ों अनुयाई हैं।
इस धर्म की मान्यता विख्यात होने का मुख्य कारण ये भी था कि इस धर्म के विचार, इसकी शिक्षाएं और मान्यताएं सभी धर्मो से अलग थी। इस धर्म से संस्थापक गौतम बुद्ध थे, जो कि एक बहुत बड़े ज्ञाता, ज्ञानी और महान विद्वान थे। उन्होंने अपने ज्ञान और विचारों को दुनिया के सामने लाया और लोगों को अपने ज्ञान से शिक्षित किया। आज हम इस लेख भी गौतम बुद्ध के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देखेगें और बौद्ध धर्म की शिक्षाओं और सिद्धांतों के बारे में भी पढ़ेंगे। आपके एग्जाम से संबंधित बहुत सारी जानकारी और संबंधित प्रश्न हम इस लेख में देखेंगे। तो आइए शुरू करते हैं।
गौतम बुद्ध : जन्म, माता पिता और पालन पोषण
महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में कपिलवस्तु के निकट लुंबनी (Lumbani) में हुआ था। उस समय कपिलवस्तु में शाक्यों का शासन था। बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधन और माता का नाम महामाया था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था।मा की मृत्यु के बाद इनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने इनका पालन पोषण किया। इनका विवाह यशोधरा से हुआ। 29 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने ग्रह त्याग कर दिया तथा सत्य और ज्ञान की खोज में निकल पड़े। इनके गुरु का नाम आलार कलाम था, जिनसे बुद्ध ने शिक्षा ली।
बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति
निरंजना ( फल्गु ) नदी के तट पर उरुवेला (बोधगया) में बुध को एक पीपल के वृक्ष के नीचे सत्य तथा ज्ञान की प्राप्ति हुई। जिसके बाद से वो बुद्ध कहलाए।
गौतम बुद्ध का पहला उपदेश
महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया, जो कि धर्मचक्रप्रवर्तन कहलाता है।
गौतम बुद्ध की मृत्यु
483 ई.पू. में 80 वर्ष की उम्र में मल्ल गणराज्य की राजधानी कुशीनगर में महात्मा बुद्ध की मृत्यु हो गई।
बौद्ध दर्शन तथा सिद्धांत
बौद्ध धर्म के सिद्धांत मुख्यत चार सत्यों पर आधारित हैं:
1. दुख है।
2. दुख का कारण है।
3. दुख का निदान
4. दुख के निदान के उपाय
बौद्ध धर्म में ईश्वर को नहीं माना गया है। बुद्ध ने नैतिकता और कर्म के सिद्धांत पर बल दिया है। बुध ने अपने ज्ञान में सत्य और अहिंसा को प्राथमिकता दी है। बौद्ध धर्म पूरी तरह अनीश्वरवादी है।
बौद्ध संगितिया
बौद्ध धर्म की चार संगीति
संगीति समय स्थान शासक अध्यक्ष
प्रथम 483 ई.पू. राजगृह अजातशत्रु महाकाश्यप
द्वितीय 383 ई.पू. वैशाली कलाशोक साबकमीर
तृतीय 250 ई.पू. पाटलिपुत्र अशोक मेगलिपुत्र तिस्स
चतुर्थ 72 ई.पू. कुंडलवन कनिष्क वसुमित्र
बौद्ध ग्रंथ
अधिकांश बौद्ध धर्म की रचना "पालि" भाषा में की गई है।
बौद्ध धर्म का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ " त्रिपिटक" है।
दीपवंश तथा महावंश में बौद्ध दर्शन तथा सिद्धांतो की चर्चा मिलती है।
बौद्ध धर्म की संपूर्ण प्रवृत्तियां सुत्त, विनय और अभिधम्म पिटक में अंतर्निहित हैं।
. सुत्तपिटक - इसमें बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का उल्लेख है।
. विनय पिटक - इसमें बौद्ध संघ के नियमों की व्याख्या है।
. अभिधम्म पिटक - इसमें बौद्ध दर्शन पर प्रकाश डाला गया है।
बौद्ध संप्रदाय : हीनयान और महायान
बौद्ध की मृत्यु के बाद बौद्ध धर्म केई संप्रदायों में बंट गया जिनमें हीनयान और महायान सबसे प्रमुख संप्रदाय थे। इसके बाद बौद्ध धर्म में तांत्रिक विचारधारा ने भी जन्म लिया और एक नए संप्रदाय " वज्रयान " का उदय हुआ।
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