शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2021

मध्यकालीन भारत का इतिहास: खिलजी वंश (दिल्ली सल्तनत)

मध्यकालीन भारत का इतिहास (खिलजी वंश)

दिल्ली सल्तनत (1206 - 1526 ई.)

भारत में दिल्ली सल्तनत की शुरुआत करने का श्रेय कुतुबुद्दीन ऐबक को जाता है। कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ई. में दिल्ली में गुलाम वंश की शुरुआत करके एक सल्तनत की नींव डाली, जिसे आज दिल्ली सल्तनत के नाम से जाना जाता है।
कुतुबुद्दीन ऐबक एक तुर्क शासक था। और यह मोहम्मद गौरी का गुलाम सेनापति था, जिसे मोहम्मद गौरी ने दिल्ली क्षेत्र की निगरानी के लिए छोड़ा था। गौरी की मृत्यु के पश्चात ऐबक ने दिल्ली अपने कब्जे में लेे ली, और अपने आप को दिल्ली का स्वतन्त्र शासक घोषित कर दिया।

दिल्ली सल्तनत काल में निम्नलिखित 5 वंशों ने शासन किया। और दिल्ली पर अपना अधिकार जमाए रखा। 

दिल्ली सल्तनत के वंशों को याद करने की ट्रिक

ट्रिक - दिल्ली का गुलाम खाता सलाम

दिल्ली - दिल्ली सल्तनत

गुलाम - गुलाम वंश    (1206 - 1290 ई.)

ख      - खिलजी वंश (1290 - 1320 ई.)

त       - तुगलक वंश  (1320 - 1414 ई.)

स       - सैयद वंश     (1414 - 1451 ई.)

ल       - लोदी वंश     (1451 - 1526 ई.)

म        - मुगल वंश     (1526 ई.......


2. खिलजी वंश (1290 - 1320 ई.)

खिलजी वंश के शासक एवं उनका शासनकाल

  • जलालुद्दीन फिरोज खिलजी    - 1290-1296
  • अलाउद्दीन खिलजी               - 1296- 1316
  • कुतुबुद्दीन मुबारक शाह          - 1316- 1320
  • नासिरुद्दीन शाह                    - 1320

  • 1206 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा दिल्ली सल्तनत का उदय हुआ  और गुलाम गुलाम वंश की शुरुआत की गई। जिसे आप पिछले लेख में पढ़ चुके हैं।
     गुलाम वंश का अंतिम शासक केमुर्स या केकुबाद हुआ जिसे जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने मारकर एक नए वंश (खिलजी वंश) की शुरुआत की।

    जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290 - 1296 ई. तक) 

    यह 1290 ईसवी में दिल्ली का सुल्तान बना। सुल्तान बनने से पहले ये बुलंदशहर का इक्तादार था।
    यह एक उदार शासक और हिन्दुओं के प्रति सहिष्णु था। इसके शासन काल में मंगोल दिल्ली में बसे जिन्हें " नवीन मुसलमान" कहा गया।
    प्रसिद्ध ईरानी फकीर सीधी मौला का संबंध इसके शासन काल से ही है। जिन्हें हाथी के पैरों तले कुचलवाकर मरवा दिया था। 

    जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने कर दी और दिल्ली के तख्त पर जा बैठा।

    अलाउद्दीन खिलजी (1296 - 1316 ई.) तक

    इसे द्वितीय सिकंदर भी कहा जाता था 
    जलालुद्दीन खिलजी के शासनकाल में यह कड़ा - मानिकपुर का सूबेदार था। इसने "सिकंदर ए सानी" की उपाधि धारण की।
    यह ऐसा प्रथम शासक था जिसने "स्थाई सैना" गठित की और सैनिकों को नकद वेतन दिया। 
    सैनिकों के लिए हुलिया तथा घोड़ों को दागने की प्रथा भी इसने ही शुरू की थी।
    इसने बाजार नियंत्रण प्रणाली की शुरुआत की। इसने मूल्य नियंत्रण के लिए "दीवान ए खैरात" तथा शहना ए मंडी" की नियुक्ति की।
    इसका प्रसिद्ध सेनापति मलिक काफूर अलाउद्दीन खिलजी था।
    इसने दिल्ली में "अलाई दरवाजा" , सीरी का किला तथा जमातखाना मस्जिद बनवाई।

    इसने चित्तौड़ के राजा रतन सिंह पर आक्रमण किया, इसका उद्देश्य उनकी सबसे खूबसूरत पत्नी "पद्मिनी" को पाना था।

    प्रसिद्ध कवि "अमीर खुसरो" अलाउद्दीन के दरबारी कवि थे।

    मुबारक शाह खिलजी 

    अलाउद्दीन की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी दिल्ली का शासक बना। इसने "खलीफा" की उपाधि धारण की थी। तथा कभी कभी यह अपने दरबार में नंगा होकर दौड़ता था।

    इसके बाद 1320 ईसवी में ग्यासुद्दीन तुगलक ने मुबारक शाह को मारकर तुगलक वंश की शुरुआत कर दी। इसे हम अगले नोट्स में पढ़ेंगे।


    आशा करता हूं दोस्तो नोट्स आपको पसंद आए होंगे। अगर किसी नोट्स को समझने में कोई भी समस्या है तो आप कॉमेंट करके हमें पूछ सकते हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना, आप लोगों तक जनरल नॉलेज के बेहतर से बेहतर नोट्स पहुंचना है। ताकि आप आगामी परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास हो सकें।

    नोट्स पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद🙏

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