सोमवार, 25 अक्तूबर 2021

तुगलक वंश नोट्स और महत्वपूर्ण प्रशन

मध्यकालीन भारत का इतिहास (दिल्ली सल्तनत)

हम यह पहले ही पढ़ चुके हैं कि 1206 ई. में एक तुर्क शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत की स्थापना। और गुलाम वंश का उदय हुआ। और फिर उसके बाद 1290 ई. में गुलाम वंश के अंतिम शासक कैमुर्स को मारकर जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की शुरुआत की। खिलजी वंश का अंतिम शासक कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी था, जिसे 1320 ईसवी में गयासुद्दीन तुगलक ने मरवा दिया और तुगलक वंश की शुरुआत की। और इस लेख में हम तुगलक वंश के बारे में पढ़ेंगे। 

तुगलक वंश (1320 - 1414 ई.) तक


तुगलक वंश के शासक
  • ग्यासुद्दीन तुगलक शाह      - 1320 - 1325
  • मुहम्मद बिन तुगलक         - 1325- 1351
  • फिरोज तुगलक                - 1351- 1388
  • ग्यासुद्दीन तुगलक द्वितीय   - 1388 - 1389
  • अबू वक्र                          - 1389
  • सीरुद्दीन मुहम्मद शाह        - 1390 - 1394
  • अलाउद्दीन सिकंदर शाह     - 1394
  • नसीरुद्दीन महमूदशाह        - 1394 - 1414


  • तुगलक वंश की शुरुआत गयासुद्दीन तुगलक ने 1320 ई. में खिलजी वंश के अंतिम शासक कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी को मारकर की।

    गयासुद्दीन तुगलक ( 1320 - 1325 ई.) तक

    इसने 1320 ई. में तुगलक वंश की स्थापना की। गयासुद्दीन तुगलक का मूल नाम गाजी बेग तुगलक था। अलाउद्दीन खिलजी के समय में यह दिपालपुर का सूबेदार था। यह ऐसा पहला शासक था जिसने कृषि उत्पादन के लिए नहरों का निर्माण करवाया।
    इसने दिल्ली के निकट तुगलकाबाद नगर की स्थापना की। और 1325 ईसवी में इसकी मृत्यु हो गई।

    मुहम्मद बिन तुगलक (1325 - 1351 ई.) तक

    गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद 1325 ई. में यह दिल्ली का शासक बना। इसका मूल नाम "जौना खां" था।
    दिल्ली के सुलतानों में यह एक ऐसा पहला शासक था जिसने योग्यता के आधार पर पद दिए।
    इसने अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरी)  स्थानांतरित की।
    मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में हरिहर और बुक्का नाम के दो भाइयों ने 1336 ई. में एक स्वतंत्र राज्य "विजयनगर" की स्थापना की।
    इसी के काल में बहमन शाह ने 1347 ईसवी में बहमनी राज्य की स्थापना की।
    प्रसिद्ध मोरक्को यात्री इब्नबतूता भारत में मोहम्मद तुगलक के शासनकाल में आया था। तथा उसने अपनी पुस्तक "रेहला" में तुगलक के समय की घटनाओं का वर्णन किया है।
    इसने सांकेतिक मुद्रा भी चलाई।
    यह सल्तनत कालीन शासकों में सबसे अधिक शिक्षित एवं विद्वान था। लेकिन अधिक स्वप्नशील एवं लालशा होने के कारण इसे सनकी एवं पागल भी कहा गया है। 
    यह हिन्दू त्यौहारों को भी मनाता था। तथा 1351 ई. में थट्टा नामक स्थान पर इसकी मृत्यु हो गई।

    फिरोजशाह तुगलक ( 1351 - 1388 ई.) तक

    1351 ई. में यह मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद फिरोजशाह तुगलक दिल्ली का शासक बना।
    यह सैनिक तथा कर्मचारियों को नकद वेतन के बदले वेतन के रूप में भूमि देता था।
    इसने फतेहाबाद, जौनपुर, फिरोजशाह कोटला, हिसार तथा फिरोजपुर जैसे नगरों की स्थापना की।
    इसने "फुतुहत ए फिरोजशाही" नामक आत्मकथा की रचना की।
    इसने ही सर्वप्रथम ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाया था।
    इसके पास लगभग 1 लाख 80 हजार गुलाम थे।

    तुगलक वंश का अंतिम शासक नसीरुद्दीन महमूद तुगलक था।
    और इसके बाद दिल्ली में सैयद वंश की शुरुआत हुई। जिसे हम अगले लेख में पढ़ेंगे।

    तुगलक वंश : महत्वपूर्ण प्रशन उत्तर


    Q.1 खिलजी वंश के बाद दिल्ली सल्तनत में कौन से वंश का           उदय हुआ - तुगलक वंश

    Q.2 तुगलक वंश का संस्थापक कौन था - गयासुद्दीन तुगलक

    Q.3 भारत में प्रतीक मुद्रा शुरू करने वाला पहला शासक कौन          था - मोहम्मद बिन तुगलक

    Q.4 "दीवान ए खैरात" नामक विभाग की स्थापना किसने की -           फिरोज शाह तुगलक 

    Q.5 मोरक्को यात्री इब्नबतूता किसके शासनकाल में भारत             आया था - मोहम्मद बिन तुगलक

    Q.6 दिल्ली के निकट तुगलकाबाद नगर का निर्माण किसने               करवाया - गयासुद्दीन तुगलक

    Q.7 किस शासक ने सिंचाई के लिए कुएं और नहरों का                   निर्माण करवाया - गयासुद्दीन तुगलक 

    Q.8 किस मध्यकालीन संसद को सनकी, स्वपनसीन तथा               पागल कहा जाता था - मोहम्मद बिन तुगलक

    Q.9 किस शासक के शासनकाल में विजयनगर और बहमनी           राज्यों की स्थापना हुई - मोहम्मद बिन तुगलक

    Q.10 किस शासक ने अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरी                   स्थापित की - मोहम्मद बिन तुगलक

    Q.11 किस शासक ने पहली बार ब्राह्मणों पर जजिया कर                 लगाया - फिरोजशाह तुगलक

    Q.12 फतूहात ए फिरोजशाही किसकी आत्मकथा है -                      फिरोजशाह तुगलक

    Q.13 किस सल्तनत कालीन शासक ने महान सम्राट अशोक             के दो स्तंभों को दिल्ली में लाकर स्थापित किया -                          फिरोजशाह तुगलक

    Q.14 किस सल्तनत कालीन शासक ने  कांसे एवं तांबे के               सिक्के चलाए - मोहम्मद बिन तुगलक

    Q.15 दिल्ली में निर्मित कोटला फिरोजशाह दुर्ग का निर्माण               किसने करवाया - फिरोजशाह तुगलक

    Q.16 चांदी और तांबे की मिश्रित धातु से निर्मित सिक्के                    किसने चलाए - फिरोजशाह तुगलक

    Q.17 तुगलक वंश का अंतिम शासक कौन था - नसरुद्दीन                  महमूद तुगलक

    Q.18 तुगलक वंश के बाद दिल्ली सल्तनत में किस वंश का                उदय हुआ - सैयद वंश


    दिल्ली सल्तनत की शुरुआत और गुलाम वंश का उदय

    खिलजी वंश: नोट्स

    आशा करता हूं दोस्तो नोट्स आपको पसंद आए होंगे। अगर  आपको किसी नोट्स को समझने में कोई भी समस्या है तो आप कॉमेंट करके हमें पूछ सकते हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना, और आप लोगों तक जनरल नॉलेज के बेहतर से बेहतर नोट्स पहुंचना है। ताकि आप आगामी परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास हो सकें।

    नोट्स पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद🙏


    शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2021

    मध्यकालीन भारत का इतिहास: खिलजी वंश (दिल्ली सल्तनत)

    मध्यकालीन भारत का इतिहास (खिलजी वंश)

    दिल्ली सल्तनत (1206 - 1526 ई.)

    भारत में दिल्ली सल्तनत की शुरुआत करने का श्रेय कुतुबुद्दीन ऐबक को जाता है। कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ई. में दिल्ली में गुलाम वंश की शुरुआत करके एक सल्तनत की नींव डाली, जिसे आज दिल्ली सल्तनत के नाम से जाना जाता है।
    कुतुबुद्दीन ऐबक एक तुर्क शासक था। और यह मोहम्मद गौरी का गुलाम सेनापति था, जिसे मोहम्मद गौरी ने दिल्ली क्षेत्र की निगरानी के लिए छोड़ा था। गौरी की मृत्यु के पश्चात ऐबक ने दिल्ली अपने कब्जे में लेे ली, और अपने आप को दिल्ली का स्वतन्त्र शासक घोषित कर दिया।

    दिल्ली सल्तनत काल में निम्नलिखित 5 वंशों ने शासन किया। और दिल्ली पर अपना अधिकार जमाए रखा। 

    दिल्ली सल्तनत के वंशों को याद करने की ट्रिक

    ट्रिक - दिल्ली का गुलाम खाता सलाम

    दिल्ली - दिल्ली सल्तनत

    गुलाम - गुलाम वंश    (1206 - 1290 ई.)

    ख      - खिलजी वंश (1290 - 1320 ई.)

    त       - तुगलक वंश  (1320 - 1414 ई.)

    स       - सैयद वंश     (1414 - 1451 ई.)

    ल       - लोदी वंश     (1451 - 1526 ई.)

    म        - मुगल वंश     (1526 ई.......


    2. खिलजी वंश (1290 - 1320 ई.)

    खिलजी वंश के शासक एवं उनका शासनकाल

  • जलालुद्दीन फिरोज खिलजी    - 1290-1296
  • अलाउद्दीन खिलजी               - 1296- 1316
  • कुतुबुद्दीन मुबारक शाह          - 1316- 1320
  • नासिरुद्दीन शाह                    - 1320

  • 1206 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा दिल्ली सल्तनत का उदय हुआ  और गुलाम गुलाम वंश की शुरुआत की गई। जिसे आप पिछले लेख में पढ़ चुके हैं।
     गुलाम वंश का अंतिम शासक केमुर्स या केकुबाद हुआ जिसे जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने मारकर एक नए वंश (खिलजी वंश) की शुरुआत की।

    जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290 - 1296 ई. तक) 

    यह 1290 ईसवी में दिल्ली का सुल्तान बना। सुल्तान बनने से पहले ये बुलंदशहर का इक्तादार था।
    यह एक उदार शासक और हिन्दुओं के प्रति सहिष्णु था। इसके शासन काल में मंगोल दिल्ली में बसे जिन्हें " नवीन मुसलमान" कहा गया।
    प्रसिद्ध ईरानी फकीर सीधी मौला का संबंध इसके शासन काल से ही है। जिन्हें हाथी के पैरों तले कुचलवाकर मरवा दिया था। 

    जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने कर दी और दिल्ली के तख्त पर जा बैठा।

    अलाउद्दीन खिलजी (1296 - 1316 ई.) तक

    इसे द्वितीय सिकंदर भी कहा जाता था 
    जलालुद्दीन खिलजी के शासनकाल में यह कड़ा - मानिकपुर का सूबेदार था। इसने "सिकंदर ए सानी" की उपाधि धारण की।
    यह ऐसा प्रथम शासक था जिसने "स्थाई सैना" गठित की और सैनिकों को नकद वेतन दिया। 
    सैनिकों के लिए हुलिया तथा घोड़ों को दागने की प्रथा भी इसने ही शुरू की थी।
    इसने बाजार नियंत्रण प्रणाली की शुरुआत की। इसने मूल्य नियंत्रण के लिए "दीवान ए खैरात" तथा शहना ए मंडी" की नियुक्ति की।
    इसका प्रसिद्ध सेनापति मलिक काफूर अलाउद्दीन खिलजी था।
    इसने दिल्ली में "अलाई दरवाजा" , सीरी का किला तथा जमातखाना मस्जिद बनवाई।

    इसने चित्तौड़ के राजा रतन सिंह पर आक्रमण किया, इसका उद्देश्य उनकी सबसे खूबसूरत पत्नी "पद्मिनी" को पाना था।

    प्रसिद्ध कवि "अमीर खुसरो" अलाउद्दीन के दरबारी कवि थे।

    मुबारक शाह खिलजी 

    अलाउद्दीन की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी दिल्ली का शासक बना। इसने "खलीफा" की उपाधि धारण की थी। तथा कभी कभी यह अपने दरबार में नंगा होकर दौड़ता था।

    इसके बाद 1320 ईसवी में ग्यासुद्दीन तुगलक ने मुबारक शाह को मारकर तुगलक वंश की शुरुआत कर दी। इसे हम अगले नोट्स में पढ़ेंगे।


    आशा करता हूं दोस्तो नोट्स आपको पसंद आए होंगे। अगर किसी नोट्स को समझने में कोई भी समस्या है तो आप कॉमेंट करके हमें पूछ सकते हैं। हमारा उद्देश्य आपके ज्ञान को बढ़ाना, आप लोगों तक जनरल नॉलेज के बेहतर से बेहतर नोट्स पहुंचना है। ताकि आप आगामी परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास हो सकें।

    नोट्स पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद🙏

    गुरुवार, 21 अक्तूबर 2021

    दिल्ली सल्तनत की शुरुआत/ गुलाम वंश के नोट्स और महत्वपूर्ण प्रशन

    मध्यकालीन भारत 

    दिल्ली सल्तनत (1206 - 1526 ई.

    दिल्ली सल्तनत की शुरुआत

    भारत में दिल्ली सल्तनत की शुरुआत करने का श्रेय कुतुबुद्दीन ऐबक को जाता है। कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ई. में दिल्ली में गुलाम वंश की शुरुआत करके एक सल्तनत की नींव डाली, जिसे आज दिल्ली सल्तनत के नाम से जाना जाता है।
    कुतुबुद्दीन ऐबक एक तुर्क शासक था। और यह मोहम्मद गौरी का गुलाम सेनापति था, जिसे मोहम्मद गौरी ने दिल्ली क्षेत्र की निगरानी के लिए छोड़ा था। गौरी की मृत्यु के पश्चात ऐबक ने दिल्ली अपने कब्जे में लेे ली, और अपने आप को दिल्ली का स्वतन्त्र शासक घोषित कर दिया।

    दिल्ली सल्तनत काल में निम्नलिखित 5 वंशों ने शासन किया। और दिल्ली पर अपना अधिकार जमाए रखा। 

    दिल्ली सल्तनत के वंशों को याद करने की ट्रिक

    ट्रिक - दिल्ली का गुलाम खाता सलाम

    दिल्ली - दिल्ली सल्तनत

    गुलाम - गुलाम वंश    (1206 - 1290 ई.)

    ख      - खिलजी वंश (1290 - 1320 ई.)

    त       - तुगलक वंश  (1320 - 1414 ई.)

    स       - सैयद वंश     (1414 - 1451 ई.)

    ल       - लोदी वंश     (1451 - 1526 ई.)

    म        - मुगल वंश     (1526 ई.......


    1. गुलाम वंश (1206 - 1290 ई.) तक

    गुलाम वंश को इल्बरी, ममलूक तथा दास वंश भी कहा जाता है। ममलूक शब्द इतिहासकार हबीबुल्लाह द्वारा दिया गया। 

    कुतुबुद्दीन ऐबक (1206 - 1210 ई.) तक

    गुलाम वंश की स्थापना कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ई. में की।  अपनी उदारता और अत्यधिक दान देने के कारण इसे "लखबक्श" कहा गया। इसने दिल्ली में कुतुबमीनार का निर्माण शुरू करवाया, तथा कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद का निर्माण करवाया। कुतुबमीनार का नाम प्रसिद्ध सूफी संत " ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी" के नाम पर रखा गया। इसने अजमेर में "अढाई दिन का झोपड़ा" भी बनवाया। लाहौर में पोलो (चौगान) खेलते समय घोड़े से गिरने के कारण इसकी मृत्यु हो गई।
    प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त करने वाला ऐबक का सहायक सेना नायक "बख्तियार खिलजी" था।

    इल्तुतमिश (1210 - 1236 ई.) तक 

    दिल्ली का सुल्तान बनने से पहले यह बदायूं का सूबेदार था। इसने कुतुबमीनार के अधूरे निर्माण को पूरा करवाया। इसने चालीस तुर्क सरदारों का एक दल बनाया जिसे " चहलगानी" अथवा चालीसा नाम दिया गया।
    इसने चांदी के "टका" तथा तांबे के "जीतल" नामक सिक्के चलाए। 

    रजिया सुल्तान (1236 - 1240 ई.तक

    यह दिल्ली की पहली व अंतिम मुस्लिम महिला शासिका थी। यह इल्तुतमिश की बेटी थी जो पिता की मृत्यु के बाद दिल्ली के सिंहासन पर बैठी।

    नसीरुद्दीन महमूद (1246 - 1265 ई.) तक

    बलबन (1266 - 1286 ई.) तक


    इसने पारसी नववर्ष में मनाए जाने वाले उत्सव "नौरोज" की भारत में शुरुआत की। इसने "सिजदा"(घुटनों के बल बैठकर सुल्तान के सामने सिर झुकाना) तथा " पाबोस" (पेट के बल लेटकर सुल्तान के पैरों को चूमना) नामक प्रथाएं शुरू की। बलबन ने चहलगानी को समाप्त किया।
    इसने उलूग खा की उपाधि धारण की।

    . गुलाम वंश का आखिरी शासक " क्यूमर्स या कैकूबाद      था।


    गुलाम वंश: महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

    Q.1गुलाम वंश का संस्थापक - कुतुबुद्दीन ऐबक 

    Q.2 गुलाम वंश कब से कब तक - 1206 - 1290 ई. तक

    Q.3 गुलाम वंश का अन्य नाम - दास वंश/मामलुक वंश

    Q.4 दिल्ली का पहला तुर्क शासक - कुतुबुद्दीन ऐबक

    Q.5 कुतुबुद्दीन ऐबक को उसकी उदारता के कारण क्या नाम           दिया गया - लाखबक्स

    Q.6 अजमेर में "अढाई दिन का झोपड़ा" किसने बनवाया -               कुतुबुद्दीन ऐबक ने

    Q.7 कुतुबमीनार का निर्माण किसने शुरू करवाया -                        कुतुबुद्दीन ऐबक ने

    Q.8 कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु कब और कैसे हुई - 1210 ई.          में, चौगान खेलते समय

    Q.9 कुतुबुद्दीन ऐबक जा मकबरा कहां स्थित है - लाहौर में

    Q.10 कुतुबुद्दीन के बाद दिल्ली का शासक कौन बना -                     इल्तुतमिश

    Q.11 कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद दिल्ली का अगला शासक कौन           बना - इल्तुतमिश

    Q.12 इल्तुतमिश के चालीस सरदारों के समूह को क्या नाम               दिया गया - चालीसा/तुर्क ए चहलगामी

    Q.13 कुतुबमीनार का अधूरा निर्माण कार्य किसने पूर्ण                      करवाया इल्तुतमिश

    Q.14 किस शासक ने तांबें के "जीतल" तथा चांदी के "टका"               नामक सिक्के चलाए - इल्तुतमिश

    Q.15 इल्तुतमिश के बाद दिल्ली का अगला शासक कौन बना             रजिया सुल्तान

    Q.16 दिल्ली की पहली महिला शासक कौन थी - रजिया                    सुल्तान                   

    Q.17 रजिया सुल्तान किसकी बेटी थी - इल्तुतमिश

    Q18 किस शासक ने "उलूग खां" की उपाधि धारण थी - बलबन

    Q.19 किस शासक ने "सिजदा तथा पाबोस" प्रथा प्रारंभ की                बलबन ने

    Q.20 गुलाम वंश का अंतिम शासक कौन था - क्यूर्मस



    सैयद वंश

    लोदी वंश

    आशा करता हूं दोस्तो आपको जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी।अगर आप किसी कॉम्पटेटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं या जनरल नॉलेज पढ़ने के शौकीन हैं, तो आप हमें जरूर फॉलो कर लीजिए। हम आपके लिए जनरल नॉलेज, जनरल साइंस और कॉम्पटेटिव रिलेटेड नोट्स लेकर आते रहेंगे। 🙏

    सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

    संविधान भाग 2, नागरिकता (अनुच्छेद 5-11)

    भारतीय संविधान भाग - 2 नागरिकता और नागरिकता अधिनियम 1955

    इसमें हम कॉम्पटेटिव एग्जाम के लिए भारतीय संविधान के भाग दो ( नागरिकता और नागरिकता अधिनियम 1955 ) के सभी महत्वपूर्ण नोट्स और पॉइंट्स देखेंगे जो एग्जाम के लिए बहुत जरूर हैं, या जिनसे एग्जाम में प्रशन पूछे जा सकते हैं। तो आइए शुरू करते हैं नागरिकता ...

    नागरिकता : परिभाषा

    नागरिकता लोगों को दिया या मिलने वाला एक ऐसा अधिकार है, जो लोगों को देश का नागरिक होने का प्रमाण अथवा सबूत है।
     नागरिकता के द्वारा कोई भी इंसान जो एक उम्र सीमा पार कर चुका हो और पागल व दिवालिया ना हो उस देश में वोट डालने, चुनाव लड़ने तथा बड़े बड़े सरकारी पदों पर कार्य करने के हकदार/अधिकारी होता है। 

    नोट : भारत में एकल नागरिकता है। भारत में कोई भी व्यक्ति दो नागरिकता के साथ नहीं रह सकता।

    भारत के संविधान अनुच्छेद 2 में भारत की नागरिकता के बारे में बताया गया है। (अनुच्छेद 5 - 11) तक


     अनुच्छेद - 5 (जन्म के आधार पर नागरिकता)

    संविधान लागू होने (26 जनवरी 1950) के बाद

    . जिसका जन्म भारत में हुआ हो
    . माता पिता का जन्म भारत में हुआ हो
    . या संविधान लागू से 5 वर्ष पहले से भारत में रहा हो

    नुच्छेद - 6 - 7 

    1947 - 48 ने भारत आने वाले लोगों के लिए तरह भारत से जाने वाले लोगों के लिए बनाए गए थे।

    अनुच्छेद - 8

    भारत के बाहर रह रहा वो इंसान भी भारत का ही नागरिक होगा जिसके माता पिता भारतीय हैं।

    अनुच्छेद - 9 

    अगर कोई भारतीय नागरिक विदेश की नागरिकता लेता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाएगी।

    अनुच्छेद - 10 

    आपकी नागरिकता को आपसे कोई नहीं छीन सकता। जब तक आप कोई देश द्रोह जैसा अपराध  नहीं करते।आपकी नागरिकता बनी रहेगी।

    अनुच्छेद - 11

    नागरिकता संबंधी कानून बनाने का अधिकार केवल संसद को है। और संसद का ग्रह मंत्रालय ही नागरिकता संबंधी कानून बनाएगा।


    भारतीय नागरिकता अधिनियम (1955)

    5 आधार पर नागरिकता

    1. जन्म के आधार पर नागरिकता

    2. वंश के आधार पर नागरिकता

    3. पंजीकरण (Regestration) के आधार पर

    4. देशीकरण (Naturalisation)

    5. अर्जित भूमि 


    1. जन्म के आधार पर नागरिकता

    1. (1886 में ) - माता/पिता में से कोई एक भारतीय

    2. सुधार  (2003 में) माता/पिता दोनों के Document Valid

    2. वंश के आधार पर नागरिकता

    1 सुधार (1992 में) माता/पिता में से कोई भी भारतीय हो

    3. पंजीकरण (Regestration) के आधार पर

    पिछले 7 वर्ष से भारत में रहने वाले विदेशी व्यक्ति नागरिकता के लिए अप्लाई फॉर्म भर सकता है।

    4. देशीकरण (Naturalisation)

    पिछले 10 साल से भारत में रह रहा है, तथा                      कोई विदेशी भारत में रहकर भारत की 22 भाषाओं (अनुसूची 8 के अनुसार) में से किसी एक को सीख़ चुका है,                     तथा कला और विज्ञान में अच्छी रुचि रखता है,

    जैसे - प्यानो प्लयेर - अधनान शामी

    5. अर्जित भूमि 

    भारत के द्वारा अर्जित की हुई भूमि के नागरिक भी भारतीय नागरिक होंगें। जैसे - सिक्किम


    नागरिकता समाप्त करने की विधि 

    नागरिकता का त्याग
    बर्खास्त
    वंचित

    1. खुद से नागरिकता का त्याग करना

    2. सरकार द्वारा बर्खास्त करना

    3. वंचित- अगर आपके पास कोई सरकारी डॉक्यूमेंट नहीं है, तो अपको नागरिकता से वंचित किया जा सकता है।


    धन्यवाद 🙏


    मंगलवार, 5 अक्तूबर 2021

    बौद्ध धर्म: कॉम्पटीटिव एग्जाम नोट्स

    बौद्ध धर्म

    छठी शताब्दी ईसा पूर्व एक ऐसे धर्म का उदय हुआ जिसने बहुत जल्दी ही सारी दुनिया में अपने आप को परिचित कर दिया। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि महान सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया और उसके प्रचार प्रसार के लिए अपनी पुत्री को विदेशों में भेजा। इतिहास के केई और महान शासकों ने भी बौद्ध धर्म को अपनाया और उसका प्रचार प्रसार किया। जिनमे सम्राट अशोक, बिम्बिसार, अजात शत्रु, जीवक, अनाथपिंडक, आम्रपाली जैसे महान शासक बौद्ध धर्म के अनुयाई थे। और आज भी भारत जैसे बड़े देश और विदेशों में बिद्ध धर्म को मानने वाले लाखों करोड़ों अनुयाई हैं।
    इस धर्म की मान्यता विख्यात होने का मुख्य कारण ये भी था कि इस धर्म के विचार, इसकी शिक्षाएं और मान्यताएं  सभी धर्मो से अलग थी। इस धर्म से संस्थापक गौतम बुद्ध थे, जो कि एक बहुत बड़े ज्ञाता, ज्ञानी और महान विद्वान थे। उन्होंने अपने ज्ञान और विचारों को दुनिया के सामने लाया और लोगों को अपने ज्ञान से शिक्षित किया। आज हम इस लेख भी गौतम बुद्ध के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देखेगें और बौद्ध धर्म की शिक्षाओं और सिद्धांतों के बारे में भी पढ़ेंगे। आपके एग्जाम से संबंधित बहुत सारी जानकारी और संबंधित प्रश्न हम इस लेख में देखेंगे। तो आइए शुरू करते हैं।

    गौतम बुद्ध : जन्म, माता पिता और पालन पोषण

    महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में कपिलवस्तु के निकट लुंबनी (Lumbani) में हुआ था। उस समय कपिलवस्तु में शाक्यों का शासन था। बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधन और माता का नाम महामाया था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था।मा की मृत्यु के बाद इनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने इनका पालन पोषण किया। इनका विवाह यशोधरा से हुआ। 29 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने ग्रह त्याग कर दिया तथा सत्य और ज्ञान की खोज में निकल पड़े। इनके गुरु का नाम आलार कलाम था, जिनसे बुद्ध ने शिक्षा ली।

    बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति

    निरंजना ( फल्गु ) नदी के तट पर उरुवेला (बोधगया) में बुध को एक पीपल के वृक्ष के नीचे सत्य तथा ज्ञान की प्राप्ति हुई। जिसके बाद से वो बुद्ध  कहलाए।

    गौतम बुद्ध का पहला उपदेश

    महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया, जो कि धर्मचक्रप्रवर्तन कहलाता है।

    गौतम बुद्ध की मृत्यु

    483 ई.पू. में 80 वर्ष की उम्र में मल्ल गणराज्य की राजधानी कुशीनगर में महात्मा बुद्ध की मृत्यु हो गई।

    बौद्ध दर्शन तथा सिद्धांत

    बौद्ध धर्म के सिद्धांत मुख्यत चार सत्यों पर आधारित हैं:
    1. दुख है।
    2. दुख का कारण है।
    3. दुख का निदान 
    4. दुख के निदान के उपाय

    बौद्ध धर्म में ईश्वर को नहीं माना गया है। बुद्ध ने नैतिकता और कर्म के सिद्धांत पर बल दिया है। बुध ने अपने ज्ञान में सत्य और अहिंसा को प्राथमिकता दी है। बौद्ध धर्म पूरी तरह अनीश्वरवादी है।

    बौद्ध संगितिया

    बौद्ध धर्म की चार संगीति 

    संगीति     समय           स्थान       शासक        अध्यक्ष
    प्रथम       483 ई.पू.    राजगृह    अजातशत्रु     महाकाश्यप
    द्वितीय     383 ई.पू.    वैशाली     कलाशोक    साबकमीर
    तृतीय      250 ई.पू.    पाटलिपुत्र  अशोक      मेगलिपुत्र तिस्स
    चतुर्थ       72 ई.पू.      कुंडलवन   कनिष्क      वसुमित्र

     

    बौद्ध ग्रंथ

    अधिकांश बौद्ध धर्म की रचना "पालि" भाषा में की गई है।
    बौद्ध धर्म का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ " त्रिपिटक" है।
    दीपवंश तथा महावंश में बौद्ध दर्शन तथा सिद्धांतो की चर्चा मिलती है।
    बौद्ध धर्म की संपूर्ण प्रवृत्तियां सुत्त, विनय और अभिधम्म पिटक में अंतर्निहित हैं।

    . सुत्तपिटक - इसमें बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का उल्लेख है।

    . विनय पिटक - इसमें बौद्ध संघ के नियमों की व्याख्या है।

    . अभिधम्म पिटक - इसमें बौद्ध दर्शन पर प्रकाश डाला गया है।

    बौद्ध संप्रदाय : हीनयान और महायान

    बौद्ध की मृत्यु के बाद बौद्ध धर्म केई संप्रदायों में बंट गया जिनमें हीनयान और महायान सबसे प्रमुख संप्रदाय थे। इसके बाद बौद्ध धर्म में तांत्रिक विचारधारा ने भी जन्म लिया और एक नए संप्रदाय " वज्रयान " का उदय हुआ।

    बौद्ध धर्म से संबंधित महत्वपूर्ण प्रशन



     Q.1 गौतम बुद्ध का जन्म कहां हुआ था ? - लुंबिनी

    Q.2 गौतम बुद्ध को किस स्थान पर ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति हुई ? - बोधगया में

    Q.3 भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश कहां दिया ? - सारनाथ

    Q.4 बौद्धों का सबसे पवित्र ग्रंथ कौन सा है - त्रिपिटक

    Q.5 बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के लिए कौन सी भाषा अपनाई गई थी - पालि

    Q.6 जातक कथाएं किससे संबंधित मानी जाती हैं - बौद्ध धर्म से

    Q.7 बुद्ध शब्द का क्या अर्थ है - एक ज्ञान सम्पन्न व्यक्ति

    Q.8 बौद्ध शिक्षा का वर्णन हमें किस ग्रंथ में मिलता है - त्रिपिटक

    Q.9 गौतम बुद्ध द्वारा भिक्षु संघ की स्थापना कहां की गई - वैशाली में

    Q.10 बुद्ध का समकालीन कौन था - कन्फयुशियस


    आशा करता हूं दोस्तो आपको जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी। इस लेख में जो जानकारी उपलब्ध है, वो आपके एग्जाम नोट्स के लिए काफी है और बेहद महत्वपूर्ण भी है। आपके एग्जाम में इससे ज्यादा नहीं पूछा जाता। और आप अपनी राय हमें कॉमेंट के जरिए दे सकते हैं।

    गुरुवार, 9 सितंबर 2021

    विश्व की प्रमुख जलसंधि/जलडमरू/world straits in Hindi

    विश्व की प्रमुख जलसंधि/जलडमरू

    जलसंधि/ जलडमरू ( Strait ) – पानी के ऐसे संकरे रास्ते को जलसंधि/ जलडमरू कहते हैं जो दो बड़े जल के समूहों ( जलाशयों) को आपस  में जोड़ता हो, और उसमें से नौकायें निकलकर एक बड़े जलाशय से दूसरे बड़े जलाशय में आ-जा सकें।

      इसका भौगोलिक आकार डमरू की तरह होता है, जिसके दो बड़े भागों के मध्य जलसंधि होती है, इसीलिए इसे जलडमरूमध्य भी कहते हैं। 

    विश्व के प्रमुख जलडमरू जलसंधि की सूची नीचे है -

    1. मलक्का जलडमरूमध्य (strait)

    मध्य: अंडमान सागर और दक्षिण चीन सागर

    स्थान: इंडोनेशिया- मलेशिया 


    2. पाक जलडमरूमध्य (strait)       

    मध्य: पाक खाड़ी और बंगाल की खाड़ी

    स्थान: भारत-श्रीलंका


    3. सुंडा जलडमरूमध्य (strait)       

    मध्य: जावा सागर और हिंद महासागर

    स्थान: इंडोनेशिया


    4. युकेटन जलडमरूमध्य (strait)

    मध्य: मेक्सिको की खाड़ी और कैरेबियन सागर

    स्थान: मेक्सिको-क्यूबा


    5. मेसिना जलडमरूमध्य (strait)   

    मध्य: भूमध्य सागर

    स्थान: इटली-सिसिली


    6. ओटरंटो जलडमरूमध्य (strait)  

    मध्य: एड्रियाटिक सागर और आयनियन सागर

    स्थान: इटली-अल्बानिया


    7. बाब अल-मन्देब जलडमरूमध्य(strait) 

    मध्य: लाल सागर और अदन की खाड़ी

    स्थान: यमन-जिबूती


    8. कुक जलडमरूमध्य (strait)       

    मध्य: दक्षिण प्रशांत महासागर

    स्थान:  न्यूजीलैंड (उत्तर और दक्षिण द्वीप)


    9. मोजाम्बिक जलडमरूमध्य(strait)

    मध्य: हिंद महासागर

    स्थान: मोजाम्बिक -मालगासी


    10. उत्तर चैनल

    मध्य: आयरिश सागर और अटलांटिक महासागर

    स्थान: आयरलैंड-इंग्लैंड


    11. वृषभ जलडमरूमध्य (strait)

    मध्य: अराफुरा सागर और पापुआ की खाड़ी

    स्थान: पापुआ न्यू गिनी - ऑस्ट्रेलिया


    12. बास जलडमरूमध्य (strait)

    मध्य: तस्मान सागर और दक्षिण सागर

    स्थान: ऑस्ट्रेलिया


    13. बेरिंग जलडमरूमध्य (strait)

    मध्य: बेरिंग सागर और चुकसी सागर

    स्थान: अलास्का-रूस


    14. बोन- फसियो जलडमरूमध्य (strait)

    मध्य: भूमध्य सागर

    स्थान: कोर्सिका - सर्दिनिया


    15. बोस्फोरस जलडमरूमध्य(strait)        

    मध्य: काला सागर और मार्मारा सागर

    स्थान: तुर्की


    16. दर्देंलीज़ जलडमरूमध्य (strait)

    मध्य: मार्मारा सागर और ईजियन समुद्र

    स्थान: तुर्की


    17. डेविस जलडमरूमध्य (strait)

    मध्य: बाफिन खाड़ी और अटलांटिक महासागर

    स्थान: ग्रीनलैंड-कनाडा


    18. डेनमार्क जलडमरूमध्य (strait)

    मध्य: उत्तर अटलांटिक और आर्कटिक महासागर

    स्थान: ग्रीनलैंड-आइसलैंड


    19. डोवर जलडमरूमध्य (strait)    

    मध्य: अंग्रेजी चैनल और उत्तरी सागर

    स्थान: इंग्लैंड-फ्रांस


    20. फ्लोरिडा जलडमरूमध्य(strait)         

    मध्य: मैक्सिको और अटलांटिक महासागर की खाड़ी

    स्थान: संयुक्त राज्य अमेरिका-क्यूबा


    21. होर्मुज जलडमरूमध्य (strait)   

    मध्य: फारस और ओमान की खाड़ी की खाड़ी

    स्थान: ओमान-ईरान


    22. हडसन जलडमरूमध्य (strait)  

    मध्य: हडसन और अटलांटिक महासागर की खाड़ी

    स्थान: कनाडा


    23. जिब्राल्टर जलडमरूमध्य(strait)        

    मध्य: भूमध्य सागर और & अटलांटिक महासागर

    स्थान: स्पेन-मोरक्को


    24. मैगलन जलडमरूमध्य (strait) 

    मध्य: प्रशांत और दक्षिण अटलांटिक महासागर

    स्थान: चिली



    25. मकास्सर जलडमरूमध्य(strait)        

    मध्य: जावा सागर और सेलेबेज सागर

    स्थान: इंडोनेशिया


    26. त्सुन्गारू जलडमरूमध्य (strait)

    मध्य: जापान सागर और प्रशांत महासागर

    स्थान: जापान (होक्काइदो-होन्शु द्वीप)


    27. तटरत जलडमरूमध्य (strait)  

    मध्य: जापान सागर और ओखोटस्क सागर

    स्थान: रूस (पूर्वी रूस-सखालिन द्वीप)


    28. फावेओक्स जलडमरूमध्य (strait)

    मध्य: दक्षिण प्रशांत महासागर

    स्थान: न्यूजीलैंड (दक्षिण आइलैंड-स्टीवर्ट द्वीप)


    29. फॉर्मोसा जलडमरूमध्य (strait)

    मध्य: दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर

    स्थान: चीन-ताइवान

    हम आशा करते हैं कि आपको ये जानकारी काफ़ी अच्छी लगी होगी। अगर आप हमें प्रतिक्रिया करना चाहते हैं, तो नीचे कमेंट कर सकते हैं।

    धन्यवाद 🙏


    बुधवार, 3 मार्च 2021

    भारत की मुख्य नदिया, उदगम स्थल,संगम और लंबाई


    भारत की प्रमुख नदियों के उदगम स्थल, संगम और लंबाई

    दोस्तो इस लेख में हम भारत की प्रमुख नदियों के बारे में पढ़ेंगे क्योंकि आपके किसी भी कंपटीटिव एग्जाम में इनमें से प्रशन पूछे जाते हैं। हम यहां भारत की प्रमुख नदियां कौन कौन सी हैं, और उनके उदगम स्थान कहां हैं जहां से वो निकलती हैं, उनके संगम या वो नदी कहां पर जाकर खत्म होती है किस सागर या किस महासागर में जाकर मिलती है। और उस नदी की लंबाई कितनी है, ये सब हम इस लेख में पढ़ेंगे। अगर आप किसी गवर्मेंट एग्जाम की तैयारी करना चाहते हैं, या फिर तैयारी करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको नदियों के बारे में जानकारी जरूर होना चाहिए। आप इन्हें अच्छे से पढ़ें और अपने सामान्य ज्ञान को बढ़ाएं। तो आइए शुरू करते हैं...

     भारत की प्रमुख नदियां 

    1. गंगा नदी

    उदगम स्थल - भागीरथी और अलकनंदा 

    का संगम स्थल देवप्रयाग से

    संगम/मुहाना - बंगाल की खाड़ी

    लंबाई -  2525 km


    2. सिंधु नदी

    उदगम स्थल -  मानसरोवर झील के

     समीप स्थित सानोंख्वाब हिमनद से

    संगम/मुहाना - अरब सागर

    लंबाई - 2880 Km


    3. ब्रह्मपुत्र नदी

    उदगम स्थल - मानसरोवर झील के

     समीप स्थित चिमयुंगदुंग हिमानी से

    संगम/मुहाना - बंगाल की खाड़ी

    लंबाई - 2900 km


    4. सतलज नदी

    उदगम स्थल - मानसरोवर झील के 

    समीप स्थित राकस ताल से

    संगम/मुहाना - चिनाब नदी

    लंबाई - 1050 km


    5. रावी नदी

    उदगम स्थल -  कांगड़ा जिले में

    रोहतांग दर्रे के समीप से

    संगम/मुहाना - चिनाब नदी

    लंबाई - 720 km


    6. व्यास नदी

    उदगम स्थल -  रोहतांग दर्रे के समीप

     ताल से

    संगम/मुहाना - सतलज नदी

    लंबाई - 470 km


    7. यमुना नदी

    उदगम स्थल - बंदरपूंछ के पश्चिमी ढल 

    पर स्थित यमनोत्री हिमानी से 

    संगम/मुहाना - प्रयाग ( इलाहबाद ) में गंगा नदी में

    लंबाई - 1375 km


    8. चंबल नदी

    उदगम स्थल -  मध्य प्रदेश में महू के 

    समीप स्थित जनापाव पहाड़ी से

    संगम/मुहाना - यमुना नदी

    लंबाई - 1050 km


    9. गंडक नदी

    उदगम स्थल -  नेपाल 

    संगम/मुहाना - गंगा नदी

    लंबाई - 425 km


    10. कोसी नदी

    उदगम स्थल -  गोसाई धाम चोटी के उत्तर से 

    संगम/मुहाना - गंगा नदी

    लंबाई - 730 km


    11. सोन नदी

    उदगम स्थल - अमरकंटक की पहाड़ियों से  

    संगम/मुहाना - गंगा 

    लंबाई - 780 km


    12. कृष्णा नदी

    उदगम स्थल -  महाबलेश्वर के समीप

     पश्चिमी घाट पहाड़ से

    संगम/मुहाना - बंगाल की खाड़ी

    लंबाई - 1327 km


    13. गोदावरी नदी

    उदगम स्थल - नासिक जिला ( महाराष्ट्र ) 

    के गांव त्रयंबक की पहाड़ी से 

    संगम/मुहाना - बंगाल की खाड़ी

    लंबाई - 1465 km


    14. कावेरी नदी

    उदगम स्थल - कर्नाटक के कुर्ग जिले की

     ब्रह्मगिरी की पहाड़ी से

    संगम/मुहाना - बंगाल की खाड़ी

    लंबाई - 805 km


    15. महानदी

     उदगम स्थल -  छत्तीसगढ़ के रायपुर

     जिले में सिहावा श्रेणी के समीप से

    संगम/मुहाना - कटक के समीप

     बंगाल की खाड़ी में

    लंबाई - 858 km


    16. नर्मदा नदी

    उदगम स्थल - विधाचल पर्वत श्रेणियों 

    में स्थित अमरकंटक नामक स्थान से  

    संगम/मुहाना - खंभात की खाड़ी

    लंबाई - 1057 km


    17. ताप्ती नदी

    उदगम स्थल - मध्य प्रदेश के बैतूल

     जिले के मुल्ताई नगर के पास से 

    संगम/मुहाना - खंभात की खाड़ी

    लंबाई - 724 km

    तो दोस्तो आशा करता हूं आपको ये जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी। और आप ऐसी ही जानकारी आगे भी पढ़ना चाहेंगे। आप अपना कॉमेंट हमें शेयर कर सकते हैं। जिससे कि हम और मोटिवेट हो सकें।


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